राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला संयुक्त रूप से केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के लिए महानदी नदी बेसिन पर 03 साल का अध्ययन करेंगे

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला संयुक्त रूप से केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के लिए महानदी नदी बेसिन पर 3 साल का अध्ययन करेंगे | महानदी नदी बेसिन का मूल्यांकन और प्रबंधन जल शक्ति मंत्रालय के अध्ययन का एक हिस्सा है। कावेरी, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, पेरियार जैसी प्रमुख भारतीय नदियों के लिए नदी बेसिन प्रबंधन योजना तैयार करने के लिए समान अध्ययन करने यह अनोखी पहल की जा रही है ।

इसी वर्ष फरवरी में एनआईटी रायपुर और एनआईटी राउरकेला के कंसोर्टियम संस्थान और आईआईटी कानपुर का समन्वय संस्थान के रूप में राष्ट्रीय नदी संरक्षण विभाग जल संसाधन नदी विकास और गंगा कायाकल्प जल शक्ति मंत्रालय के बीच अध्ययन शुरू करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए थे।

महानदी नदी बेसिन के स्थिति मूल्यांकन और प्रबंधन योजना के लिए एक केंद्र का आधिकारिक उद्घाटन एनआईटी रायपुर में किया गया, केंद्र का उद्घाटन प्रोफेसर विनोद तारे, संस्थापक प्रमुख सीगंगा और प्रोफेसर आईआईटी कानपुर डॉ. एनवी रमना राव निदेशक, एनआईटी रायपुर और डॉ. के उमामहेश्वर राव, निदेशक, एनआईटी राउरकेला द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस दौरान एनआईटी राउरकेला के निदेशक ऑनलाइन रूप में मौजूद रहे | प्रो. समीर बाजपेयी एनआईटी रायपुर में केंद्र प्रमुख हैं और प्रो. किशनजीत कुमार कटुवा, केंद्र प्रमुख एनआईटी राउरकेला हैं। एनआईटी राउरकेला की टीम के सदस्यों के साथ-साथ (सी महानदी) एनआईटी रायपुर की आयोजन टीम में डॉ. अजय अहिरवार, डॉ. इश्तियाक अहमद, डॉ. मणिकांत वर्मा, डॉ. विकास कुमार विद्यार्थी और डॉक्टर चंदन कुमार सिंह शामिल रहे।

प्रोफेसर विनोद तारे ने बताया कि एनआईटी राउरकेला और एनआईटी रायपुर ओडिशा और छत्तीसगढ़ में महानदी नदी बेसिन पर व्यापक अध्ययन करेंगे, अध्ययन में नदी की वर्तमान स्थितियों का आकलन किया जाएगा और कई मापदंडों पर डेटा एकत्र किया जाएगा।

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