एक राष्ट्र-एक नाम : 1947 में हुई बड़ी भूल का प्रधानमंत्री मोदी के हाथो सुधार हो रहा

रायपुर। वर्ष 1947 में भारत जिसे इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी ने जीत कर इंडिया नाम रख दिया था, आज आजादी के 75 वर्षो बाद उस भूल का प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बड़ा सुधार हो जा रहा है, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू, पश्चात प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और फिर प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के सत्ता हाथ में होते हुए, किया ना जा सका। आज भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने आधिकारिक पत्र में रिपब्लिक ऑफ़ इंडिया के स्थान पर भारत लिख कर, इंडिया के पुनः भारत नाम हो जाने की खबर पर मुहर सी लगा दी है।

प्रधानमंत्री मोदी जन भावना को समझते हुए बहुत जल्द दोनों सदन में एक विधयेक लाने वाले है जिससे इंडिया नाम जो अंग्रेजी हुकूमत की दासता का प्रतिक उसे सम्पूर्ण तरीके से हटाया जायेगा और सम्राट अशोक, राजा विक्रमादित्य, महाराणा प्रताप जैसे प्रतापी वीर योद्धा एवं पराक्रमी राजा के देश भारत को पुनः आधिकारिक तौर से भारत नाम से लिखा, बोला एवं पढ़ा जायेगा।

विश्व में जितने भी देश है अमूमन अपनी भाषा में ही अपने देश को संबोधित करते है और आधिकारिक तौर से भी एक ही नाम चलाते है, जैसे की जर्मनी के लोग आधिकारिक एवं सारे सरकारी दस्तावेजों में जर्मन भाषा में Bundesrepublik Deutschland ही लिखते है। जितने भी राष्ट्र है जैसे फ्रांस, इजराइल, श्रीलंका, थाईलैंड सबके एक ही नाम है, जहां जहां अंग्रेजी दासता रही वही पर अभी भी अंग्रेजी नाम से ही देश को संबोधन करते है, जैसे भारत को इंडिया।

भारत की प्राचीन संस्कृति एवं जनता की आत्मीयता भारत नाम सही जुडी हुई है, आप गाँव-देहात कही भी जाए कोई भी बच्चा बुजुर्ग आपको देश को इंडिया नाम से पुकारते हुए नहीं दिखेगा, सभी जगह भारत का ही चलन है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उठाया जाने वाला ये कदम स्वागत योग्य है और आने वाली नस्ल को अपनी संस्कृति, भाषा, राष्ट्र पर और अभिमान और आत्मविश्वास की अनुभूति जागृत करेगा। इंडिया का नाम नहीं बदल रहा, हमारा असली भारत अपने रूप में लौट रहा।

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