फर्जी कंपनियों के जरिए करीब 15 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का जीएसटी रिफंड (GST Refund) लेने के एक बड़े मामले का खुलासा : करीब 7 लाख लोगों का पैन कार्ड, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर भी बरामद
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए 2600 से ज्यादा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराया और सरकार से करोड़ों का रिफंड भी लिया. पुलिस ने इस गिरोह के पास से करीब 7 लाख लोगों का पैन कार्ड, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर भी बरामद किया है.
बिना कारोबार जीएसटी रिफंड दिलाने के फ्रॉड की कहानी शुरू होती है एक कंप्लेन से जिसमें नोएडा पुलिस को सूचना मिलती है कि शिकायतकर्ता के पैन नंबर पर पश्चिम बंगाल और लुधियाना में दो कंपनियां रजिस्टर्ड की गई हैं. कंप्लेन पर नोएडा के ACP रजनीश वर्मा ने छानबीन शुरू की तो पता कि देश के सिर्फ दो ही शहरों में नहीं, बल्कि देश के हर शहर में फर्जी कंपनियों की सेल लगी हुई है. पुलिस ने इस मामले में दो FIR दर्ज की हैं और कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया है. 800 कंपनियां ऐसी भी हैं जिन्हें रजिस्टर तो करा लिया गया है, लेकिन इनका अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया है.
पिछले साल से जारी इस गोरखधंधे में शामिल बाकियों की तलाश सरगर्मी से कर रही है. पुलिस को जांच में कुल 2660 फर्जी कंपनियों की जानकारी मिली है, जिनमें से हर कंपनी का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ से 15 करोड़ रुपए के के बीच है. पुलिस के मुताबिक इस लिहाज से कैलकुलेट करें, तो जीएसटी के फेक इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी रिफंड लेने का मामला शुरुआती जांच में 10 से 15 हजार करोड़ रुपए का बनता है. पुलिस को आरोपियों के दिल्ली के मधुविहार, रोहिणी और शाहदरा के दफ्तरों में 12 लाख कैश, 32 मोबाइल, 24 कंप्यूटर, 4 लैपटॉप, हार्डडिस्क, 140 पैनकार्ड और 3 लक्जरी कारें बरामद की हैं, जिनपर गर्वनमेंट ऑफ इंडिया लिखा हुआ है. इसके अलावा 7 लाख लोगों का डेटा भी बरामद किया है.
पुलिस के मुताबिक पूरे रैकेट में दो टीमें थी. पहली टीम जस्ट डायल जैसी कंपनियों के लोगों का डेटा खरीदती थी और उसके मिलते जुलते नामों की तलाश करके उसका पैन, आधार, मोबाइल के साथ रेंट एग्रीमेंट जैसे दस्तावेजो को तैयार करती थी. जबकि दूसरी टीम जिसमें चार्टड अकाउंटेंट और बैंक कर्मचारी शामिल हैं वो फेक कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराती थी और उन्हें बड़ी कंपनियों को लाखों में बेच देती ताकि वो फेक कंपनियों के जरिए जीएसटी रिफंड ले सकें. आखिर ये बड़ी कंपनियां कौन हैं इनका पता लगाने के लिए नोएडा पुलिस ने केंद्र और राज्य के जीएसटी विभाग समेत बड़ी जांच एजेंसियों को चिट्ठी लिखी है क्योंकि उसे मनी लॉन्ड्रिंग के साथ डेटा प्राईवेसी ब्रीच होने का शक है, जिससे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है.