ऑर्थराइटिस यानी गठिया एक ऐसा रोग है, जो जोड़ों में दर्द और जकडऩे पैदा करता है – अर्थराइटिस में ये चीजें देंगी राहत

Report manpreet singh 

RAIPUR chhattisgarh VISHESH : रायपुर , ऑर्थराइटिस यानी गठिया एक ऐसा रोग है, जो जोड़ों में दर्द और जकडऩे पैदा करता है। इससे लोगों को चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है। दुनिया भर में करोड़ों लोग इससे पीडि़त हैं, इनमें बच्चों की संख्या भी कम नहीं है। कुछ फूड्स ऐसे हैं जो जोड़ों पर सकारात्मक असर डाल सकते हैं। विशेषज्ञ इसे खाने की सलाह देते हैं। 

 ऑलिव ऑइल-रोजाना 2 से 3 चम्मच जैतून का तेल खाने में लेने से गठिया का दर्द कम हो सकता है। बेहतर होगा कम से कम रिफाइंड हो तो ज्यादा फायदा होगा, इसके लिए एक्स्ट्रा वरजिन तेल चुनें। इसे खाना बनाने और सैलड ड्रेसिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है।

 सिट्रस फ्रूट्स- चकोतरा या मौसमी, संतरे, नीबूं जैसे सिट्रस फ्रूट जिनमें विटामिन सी की मात्रा ज्यादा होती है उन्हें खाना शुरू कर दें। कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा सब्जियां और फल खाएं।

दही- फर्मंटेड फूड और यॉगर्ट- दही आपकी आहारनाल के लिए अच्छे रहेंगे और सूजन में भी फायदा पहुंचाएंगे। इनसे ऑर्थराइटिस के लक्षण कम होते हैं।

 ग्रीन टी- एक कप ग्रीन टी पॉलिफिनॉल्स, पोषण से भरपूर होती हैं। गठिया के मरीजों के लिए यह काफी अच्छी होती है। इसमें भरपूर मात्रा में ऐंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं। 

इसके अलावा कुछ और उपाय से इस बीमारी से राहत पाई जा सकती है। 

एक्सरसाइज- अर्थराइटिस के उपचार का सबसे पहला, आसान और प्रभावी तरीका है व्यायाम। नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से जोड़ों के दर्द और अकडऩ से राहत मिलती है। साथ ही इससे मांसपेशियां मजबूत और लचीली भी होती हैं। एक्सरसाइज करते समय आप मोशन एक्सरसाइज, स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज व एंड्यूरेंस एक्सरसाइज को जरूर शामिल करें। जहां मोशन एक्सरसाइज से जोड़ों का मूवमेंट बेहतर होता है, वहीं स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज करने से मांसपेशियों की कार्यक्षमता बढ़ती है और जब आपके मसल्स मजबूत होते हैं तो उससे आपके जोड़ों को भी मजबूती मिलती है। इसके अतिरिक्त एंड्यूरेंस एक्सरसाइज कार्डियोवस्कुलर फिटनेस को बेहतर बनाती है। हालांकि शुरूआत में एक्सरसाइज डॉक्टर की सलाह और एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें।

 वजन कम- अर्थराइटिस के दर्द के उपचार के लिए वजन पर नजर रखना भी बेहद जरूरी है। वजन बढऩे से शरीर को जोड़ों में तनाव बढ़ जाता है, जिससे व्यक्ति का जोखिम और दर्द काफी बढ़ जाता है। इसलिए वजन कम करके स्थिति को काफी सुधारा जा सकता है।

फिजियोथेरेपी- फिजियोथेरेपी भी अर्थराइटिस के दर्द के उपचार में एक अहम भूमिका निभाती है। फिजियोथेरेपिस्ट मुख्य रूप से मसल स्ट्रेंथ व ज्वाइंट की मोबिलिटी की जांच करके उसके अनुसार एक्सरसाइज व अन्य उपचार करते हैं। इससे न सिर्फ व्यक्ति को दर्द से राहत मिलती है, बल्कि जोड़ों की कार्यक्षमता भी बेहतर होती है।

 एक्यूपंक्चर -घुटने के पुराने अर्थराइटिस से पीडि़त रोगियों के लिए एक्यूपंक्चर भी एक कारगर थेरेपी है। यह गठिया रोगियों के लिए एक बेहतरीन वैकल्पिक चिकित्सा है। एक्यूपंक्चर का एक सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस चिकित्सा का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। इस प्रक्रिया में शरीर के विभिन्न अंगों में मौजूद खास बिंदुओं पर बाल के समान पतली पिनों को चुभाया जाता है, हालांकि इस प्रक्रिया में मरीज को जरा भी दर्द नहीं होता। इस पद्धति से व्यक्ति को पहली बार में भी स्वयं में बदलाव महसूस होने लगता है।

सिकाई- अर्थराइटिस के उपचार के लिए सिकाई करना भी एक उपचार माना गया है। वहीं कुछ मामलों में दवाई का सेवन भी किया जाता है, लेकिन यह तभी करना चाहिए, जब दर्द काफी अधिक हो और दवाई भी किसी विशेषज्ञ के परामर्श के बाद ही लेनी चाहिए।

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