मुख्यमंत्री श्री बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिपरिपषद द्वारा छत्तीसगढ़ नक्सल उन्मूलन की नई नीति का अनुमोदन

शासन की विकास, विश्वास, सुरक्षा की त्रिवेणी कार्ययोजना पर आधारित है नीति

शहीदों के परिजनों को अतिरिक्त राहत राशि के रूप में कृषि भूमि क्रय किये जाने 20 लाख रूपये की राशि का प्रावधान

05 लाख या अधिक के सक्रिय ईनामी नक्सली को आत्मसर्पण पर 10 लाख की अतिरिक्त राशि का प्रावधान

नई नीति में अन्य राज्यों के पीड़ित व्यक्ति को भी मुआवजा हेतु किया गया है पात्र

रायपुर, 17 मार्च 2023

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में आयोजित मंत्री परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ उन्मूलन नीति का अनुमोदन किया गया है। इस नीति मे मुख्य बिन्दु इस प्रकार है:-

1. यह शासन की विकास- विश्वास सुरक्षा की त्रिवेणी कार्ययोजना पर आधारित है। इस नीति में विभिन्न विभागो द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि क्षेत्रों में किये जाने वाले कार्यों / लक्ष्यों का उल्लेख किया गया है। ग्राम पंचायतों के निवासियों को शासकीय योजनाओं का लाभ विभिन्न विकास मूलक योजनाओं का क्रियान्वयन ‘मनवा नवा नार’ योजना के तहत् समग्रित विकास केन्द्रों की स्थापना अनुसूचित क्षेत्रों / वन क्षेत्रों हेतु लागू कानूनों / नियमों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाना आदि बहुआयामी लक्ष्यों / उद्देश्यों को रेखांकित किया गया है।

2. पुलिस बल के शहीदों के परिजनों को अतिरिक्त राहत राशि के रूप में 20 लाख रूपये की राशि कृषि भूमि क्रय किये जाने के उद्देश्य से दिया जाना तथा 03 वर्ष के भीतर कृषि भूमि क्रय करने पर 02 एकड़ भूमि तक स्टॉम्प ड्यूटी / पंजीयन शुल्क में पूर्ण छूट प्रदान की गयी है। घायल जवानों को आवश्यकता होने पर कृत्रिम अंग प्रदान किये जाने की व्यवस्था की जाएगी।

3. नीति में नक्सल व्यक्तियों / परिवारों तथा आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास हेतु प्रावधान बनाये गये है । पुनर्वास हेतु निर्णय के लिए जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का प्रावधान है। पुनर्व्यस्थापन में कठिनाई होने पर राज्य स्तर पर अपर मुख्य / प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में समिति गठित की गयी है। पुनर्वास हेतु विभिन्न विभागों द्वारा अनेक प्रकार के लाभ / सुविधाओं का प्रावधान किया गया है।

4. नक्सल पीड़ित व्यक्तियों हेतु प्रमुख प्रावधानों में हत्या / मृत्यु, चोट, संपत्ति एवं जीविकोपार्जन क्षति – पर पूर्व में देय मुआवजा राशि में दो गुना तक वृद्धि की गयी है। आवश्यकता होने पर कृत्रिम अंग समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रदान किया जाएगा। विभिन्न प्रकार की सुविधाओं में स्वयं / बच्चों की शिक्षा, छात्रावास, छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ, खाद्य विभाग की योजनाओं का लाभ, स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाना, नियमानुसार विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ दिया जाना आदि का उल्लेख है ।

परिवार के कमाने वाले व्यक्ति की हत्या प्रकरण में अनुकम्पा नियुक्ति की तर्ज पर शासकीय सेवा प्रदान की जाएगी। यदि शासकीय सेवा नहीं दी जाती तब कृषि भूमि क्रय करने हेतु 15 लाख की अतिरिक्त राशि दी जाएगी तथा 03 वर्ष में कृषि भूमि क्रय करने पर 02 एकड़ तक भूमि पर स्टॉम्प ड्यूटी / पंजीयन शुल्क में पूर्ण छूट दी जाएगी।

5. आत्मसमर्पित नक्सलियों हेतु प्रमुख प्रावधानों में समर्पित राउण्ड के लिए प्रति राउण्ड 05 रूपये के जगह 50 रूपये दिये जायेंगे। प्रत्येक नक्सली को समर्पण पर प्रोत्साहन हेतु 25 हजार रूपये की राशि दी जाएगी। नक्सल पीड़ित के समान ही आत्मसमर्पित नक्सलियों को विभिन्न विभागों द्वारा अनेक प्रकार की सुविधाओं / लाभ प्रदान करने हेतु विचारण / कार्यवाही की जाएगी।

सक्रिय 05 लाख या अधिक के ईनामी नक्सली को आत्मसर्पण पर 10 लाख की राशि पृथक से दी जाएगी ( यह राशि उसके ऊपर घोषित ईनाम राशि तथा समर्पित हथियार के बदले देय मुआवजा राशि के अतिरिक्त होगी) । यह राशि बैंक में सावधि जमा की जाएगी तथाइसका ब्याज समर्पित नक्सली को दिया जाएगा। 03 वर्ष पश्चात् चाल चलन की समीक्षा उपरांत यह राशि प्रदान की जाएगी। यदि समर्पित नक्सली द्वारा 03 वर्ष के भीतर कृषि भूमि क्रय की जाती है तब 02 एकड़ तक भूमि पर स्टॉम्प ड्यूटी / पंजीयन शुल्क में पूर्ण छूट दी जाएगी।

6. नई नीति में:-

अन्य राज्यों के पीड़ित व्यक्ति को भी मुआवजा हेतु पात्र किया गया है।

• नक्सल पीड़ित / आत्मसमर्पित नक्सली जिसके द्वारा नक्सल विरोधी अभियान में पुलिस को विशेष सहयोग किया गया हो तथा जिसे इस कारण स्वयं की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो गया हो, ऐसे प्रकरणों में पुलिस महानिरीक्षक रेंज उसे पुलिस विभाग में निम्नतम पदों पर भर्ती कर सकेंगे ।

• सभी विभागों को नई नीति लागू करने के लिये नियमों / प्रावधानों में संशोधन हेतु 60 दिन का समय दिया गया है।

छ.ग. लोक सेवा गांरटी अधिनियम के प्रावधान यथावत् लागू होंगे।

छ.ग. नक्सल उन्मूलन नीति लागू होने की तिथि से 05 वर्ष के लिये प्रभावी रहेगी।

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