मुख्यमंत्री नीतीश ने सोमवार को अपना चर्चित बयान एक बार फिर दोहराया कि वे भारतीय जनता पार्टी के साथ फिर जुड़ने के बजाय ‘मर जाना’ पसंद करेंगे
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अपना चर्चित बयान एक बार फिर दोहराया है कि वे भारतीय जनता पार्टी के साथ फिर जुड़ने के बजाय ‘मर जाएंगे’.
महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा, “मर जाना क़ुबूल है लेकिन उनके साथ जाना हमको कभी क़ुबूल नहीं है, यह याद रखिए.”
दरभंगा में संपन्न भाजपा की दो दिवसीय राज्य कार्यकारिणी की बैठक में भी नीतीश कुमार के साथ अब नहीं जाने का एलान किया गया.
2017 में बीजेपी के साथ जाना ‘ग़लती’ थी
नीतीश बिहार के सीएम ने 2013 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद 2017 में फिर से उसके साथ गठबंधन करने के फ़ैसले को अपनी ‘ग़लती’ करार दिया है.
नीतीश कुमार ने बीजेपी को अपने नेतृत्व में चुनावों में मिली शानदार सफलता की याद दिलाते हुए कहा कि उनकी वजह से बीजेपी को मुसलमानों के भी वोट मिलते थे.
बीजेपी को राज्य के विधानसभा चुनावों में अब तक सबसे अधिक 2010 में 91 सीटें मिली थीं. अभी वहां बीजेपी के पास 78 विधायक हैं.
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू का बीजेपी से पिछले साल अगस्त में गठबंधन टूट गया था. उसके बाद राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर कुमार ने फिर से सरकार बना ली थी.
मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कहा कि आज के ही दिन बापू की हत्या हुई थी और उनकी हत्या करने वालों को मुसलमानों की रक्षा करने के उनके कमिटमेंट से परेशानी थी.
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की ओर मुड़कर नीतीश कुमार ने कहा, “इनके पिता (लालू प्रसाद यादव) के ख़िलाफ़ कितने मामले दर्ज किए गए. लेकिन कुछ नहीं हुआ. उन्होंने मुझ पर फिर से हाथ मिलाने का दबाव बनाया. अब वे फिर से इन लोगों को दूसरे मामलों में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “2020 में अपने वोट मुझे ट्रांसफर न करा पाने के कारण जब हमारी सीटें उनसे (बीजेपी से) कम आईं, तो मैं सीएम बनने का इच्छुक नहीं था. हमारे वोटरों ने उनका समर्थन किया था, जिससे उनका प्रदर्शन बेहतर रहा. उन्होंने मुझ पर फिर से कार्यभार संभालने का दबाव डाला. लेकिन चुनाव में उनकी संदिग्ध भूमिका को लेकर हमारी पार्टी में नाराज़गी बढ़ रही थी, तो मैंने अलग होने का फ़ैसला लिया.”
नीतीश कुमार ने यह दावा भी किया है कि जदयू और बीजेपी गठबंधन के सबसे बेहतर दिनों में भी बीजेपी, जदयू के प्रति ईमानदार नहीं थी.
उन्होंने बताया, ”2010 में उन्होंने पांच या छह जगहों पर झामुमो जैसी पार्टी, जिसका चुनाव चिह्न हमारे जैसाा ही है, चुनाव लड़वाया ताकि हमारे वोटर भ्रमित हो जाएं. इससे तब हमें पांच या छह सीटें गंवानी पड़ी थीं.”