IAS और डॉक्टर के अनोखे कॉम्बिनेशन वाले ये हैं दुर्ग कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर —- Doctor’s Day पर खास बातचीत के अंश

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH :कोविड संकट की घड़ी में ऑफिस में कलेक्टर और अस्पताल में डॉक्टर की दोहरी भूमिका निभाने में डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे को कोई एतराज भी नहीं है। कोरोना महामारी के दौर में छत्तीसगढ़ के सबसे ज्यादा शहरी और संवेदनशील दुर्ग जिले की कमान एक ऐसे आईएएस (IAS) अधिकारी के पास है जो पेशे से एक डॉक्टर भी है। कोविड संकट की घड़ी में ऑफिस में कलेक्टर और अस्पताल में डॉक्टर की दोहरी भूमिका निभाने में डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे (Durg Collector) को कोई एतराज भी नहीं है। वे कहते हैं भले ही मैं आईएएस ऑफिसर हूं, लेकिन जरूरत पड़ी तो मरीजों की नब्ज टटोलने में भी पीछे नहीं हटूंगा। इस काम में उनकी पत्नी डॉ. रश्मि भूरे भी एक विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में कलेक्टर पति का भरपूर साथ दे रही है पति के पदस्थापना वाले जिले के सरकारी अस्पताल में मरीजों का उपचार करके उन्होंने अपनी सेवा का अलग अंदाज में लोहा मनवाया है। डॉक्टर और आईएएस के जबरदस्त कॉम्बिनेशन वाले इस दंपती ने कुछ दिन पहले ही दुर्ग जिले में कदम रखा है। महामारी की रोकथाम को लेकर उठाए गए सख्त कदम की वजह से पूरे प्रदेश में चर्चा में है।

डॉक्टर हूं इसलिए महामारी को गंभीरता से समझता हूं

दुर्ग कलेक्टर एमबीएएस की पढ़ाई करने के बाद आईएएस बने हैं। उन्होंने बताया कि कोविड संक्रमण से निपटने में उनकी मेडिकल की पढ़ाई का भरपूर लाभ मिल रहा है। यदि वे मेडिकल फील्ड से नहीं होते तो शायद डॉक्टर, मरीजों और मौजूदा हालात को बरीकी से नहीं समझ पाते। इस समय देशभर में अनलॉक की प्रक्रिया चल रही है, बड़ी संख्या में लोग शहरों में लौट रहे हैं। इसलिए पूरा फोकस शहर मैनेजमेंट पर है। हजारों लोगों को क्वारंटाइन किया गया है और ज्यादा से ज्यादा लोगों की जांच पर जोर दिया जा रहा है। ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके। लोगों को पर्सनल सेफ्टी, मास्क, सैनिटाइजर और हेल्थ एजुकेशन के लिए भी जागरूक किया जा रहा है।

डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं, अभी हुआ इस कवाहत का असल चरितार्थ

एक जुलाई का दिन दुनियाभर के डॉक्टरों को समर्पित करते हुए डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है। दुर्ग कलेक्टर कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का रूप होता है ये कहावत प्रचलित है, लेकिन इसका असल चरितार्थ कोरोना महामारी के दौर में हुआ है। इस वक्त डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना पीडि़तों के इलाज में जुटे हैं। मरीजों की संख्या एक दो नहीं लाखों में है। कई डॉक्टर इसके शिकार बनकर जिंदगी की जंग भी हार गए तो कई खुद बीमार हो गए। सच में आज अगर कोई जिंदगी दे सकता है तो वो डॉक्टर ही है। इसलिए हमें देश के सभी डॉक्टरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनका हौसला बढ़ाना चाहिए, क्योंकि वो ही इस बीमारी के फ्रंट लाइन के वॉरियर हैं।

चिकित्सा सुविधाओं और अस्पतालों को डेवलेप करने बनाया प्लॉन

दुर्ग कलेक्टर ने प्रशासनिक गलियारे के अलावा चिकित्सकीय सुविधाओं की तरफ भी तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि जिले के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को डेवलप किया जा रहा है ताकि लोगों को हर छोटी बीमारी के लिए शहरों की ओर दौड़ न लगाना पड़े। मुख्यमंत्री की पहल से भिलाई स्टील प्लांट के सेक्टर 9 अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए संसाधनों का अध्ययन किया जा रहा है। वहीं कोविड अस्पताल में भी सुविधाओं का विस्तार किया गया है। इसी वजह से यहां ठीक होने वाली मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कोरोना के साथ डेंगू को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों को अलर्ट पर रखा गया है। निचले स्तर पर सर्वे को प्राथमिकता दी जा रही है।

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