छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी नया रिकॉर्ड बना चुकी, मंत्रियों का कहना धान खरीदी के लिए केंद्र एक रुपया भी नहीं देती : भाजपा ने झूठी घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं किया
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी नया रिकॉर्ड बना चुकी है। इसके साथ ही राजनीति तेज हो गई है। एक दिन पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा, केंद्र सरकार के पैसे से ये लोग धान खरीद रहे हैं और फोकट का चंदन घिस रहे हैं। राज्य सरकार को प्रधानमंत्री मोदी जी को इसके लिए धन्यवाद कहना चाहिए। बुधवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ राज्य सरकार के चार मंत्रियों ने प्रेस वार्ता किया। उन्होंने इस खरीदी को सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। मंत्रियों का कहना था, धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार एक रुपया भी नहीं देती।
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, 17 दिसम्बर को भूपेश बघेल की सरकार के चार साल पूरा होने पर चर्चा किया था। ठीक एक महीना बाद इस सरकार का सबसे बड़ा काम, हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि आपके सामने है। सरकार ने एक सुव्यवस्थित योजना के तहत 101 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी कर ली है। लक्ष्य हमारा 110 लाख मीट्रिक टन का है। समय सीमा के भीतर हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेंगे। लगभग 21 हजार करोड़ रुपए की राशि किसानों को अब तक दी जा चुकी है।
रविंद्र चौबे ने कहा, जब हमारी सरकार ने 2500 रुपया क्विंटल में धान खरीदना शुरू किया तो पहली बार केंद्र से आपत्ति आई कि अगर हमने मिनिमम सपोर्ट प्राइज से एक रुपया भी अधिक दिया तो छत्तीसगढ़ का चावल नहीं लिया जाएगा। मैं खुद खाद्य मंत्री के साथ केंद्र सरकार की बैठकों में शामिल था। वहां केंद्र सरकार ने कहा था, छत्तीसगढ़ के किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइज से एक रुपया भी ज्यादा नहीं मिलना चाहिए। उसी बैठक में हमारे मुख्यमंत्री जी ने कहा, हमारा कमिटमेंट है कि छत्तीसगढ़ के किसानों को 2500 रुपये से एक रुपया भी कम नहीं देंगे। यही डिस्प्यूट था। उसके बाद हमने अलग योजना बनाई और अपने किसानों को लगातार पैसा देते रहे।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव जी का बयान मैंने पढ़ा। उन्होंने कहा, भारत सरकार के पैसे से धान खरीद रहे हैं और फोकट का चंदन घिस रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष को धान खरीदी के सिस्टम को समझने की जरूरत है। धान खरीदी का सिस्टम यह है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 22 हजार करोड़ का कर्ज लिया है मार्कफेड के जरिये। 12 हजार करोड़ की बैंक गारंटी राज्य सरकार की है। बाकी जो पैसा है वह बिना गारंटी का है।
इन दोनों कर्जों में अंतर यह है कि राज्य सरकार की गारंटी पर दशमलव पांच प्रतिशत ब्याज कम लगता है। धान खरीदी के लिए केंद्र सरकार से एक रुपया भी नहीं मिलता। मोहम्मद अकबर ने कहा, कांग्रेस ने 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी का कमिटमेंट था। पहले साल यानी 2019 में हमने 2500 के हिसाब से सीधे भुगतान किया। तब भारत सरकार ने अड़ंगा लगाया कि यदि समर्थन मूल्य से अधिक में खरीदी होगी ताे हम आपका चावल भारतीय खाद्य निगम में जमा नहीं लेंगे।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने धान खरीदी में केंद्र सरकार की भूमिका पर बात की। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ की सरकार हर साल 20 से 25 हजार करोड़ का कर्ज लेती है। इसी से धान खरीदी होती है, बारदाने की व्यवस्था होती है, परिवहन होता है, कस्टम मीलिंग होती है, उसके बाद उतना चावल भारतीय खाद्य निगम में जमा होता है, जितना कोटा हमको मिलता है। शेष चावल नागरिक आपूर्ति निगम में जमा होता है। उसके बाद धान खरीदी के खर्चे का पूरा हिसाब भारत सरकार को जमा करते हैं तो उतनी ही राशि हमको दी जाती है।
उसमें भी खरीदी की राशि केवल समर्थन मूल्य के हिसाब से ही मिलती है। 2500 रुपए से अंतर की राशि जो देना है वह राजीव गांधी किसान न्याय योजना के नाम से सभी किसानों को दिया जाता है। यह पूरी रकम राज्य सरकार देती है। प्रति एकड़ नौ हजार रुपए के हिसाब जब किसानों को देते हैं तो प्रति क्विंटल पड़ता है 600 रुपए। पिछली बार जब किसानों ने धान बेचा तो उनको मिला था 2540 रुपया। इस साल जो बेचे हैं, उनको मिलेगा 2640 रुपया प्रति क्विंटल।
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा, हमसे कई गुना बड़ा राज्य है मध्य प्रदेश। वहां एक करोड़ 33 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी होती है। हम उससे एक तिहाई हैं, लेकिन एक करोड़ 10 लाख मीट्रिक टन का हमारा लक्ष्य और उससे पहले ही एक करोड़ एक लाख मीट्रिक टन की खरीदी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। धान इस प्रदेश की इकोनॉमी का बेस है और सरकार का मुख्य काम है किसानों की मदद करना।
अमरजीत भगत ने कहा, किसी भी प्रदेश के कृषि सेक्टर के लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धि और आश्वस्ति वाला आंकड़ा है। भाजपा सरकार के समय धान खरीदी का जो सर्वाधिक रिकॉर्ड था, उतना तो हम अब चावल जमा कर रहे हैं। उस समय पंजीकृत किसानों की संख्या 12 से 15 लाख के बीच रहा है। हमारे समय में 24 लाख से अधिक हो गया है। छत्तीसगढ़ सरकार का काम बोल रहा है।
नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया ने कहा, धान खरीदी की शुरुआत भी कांग्रेस की सरकार ने ही किया। भाजपा ने झूठी घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं किया। 15 हजार से अधिक किसानों ने भाजपा के शासनकाल में आत्महत्या की। हमारी चार साल की सरकार में एक भी किसान ने आत्महत्या नहीं किया है। ये हमारी उपलब्धि है। मोदी जी को क्या इसलिए धन्यवाद दें कि वे धमकी देते हैं कि किसानों को बोनस दिया तो आपका चावल नहीं लेंगे। केंद्रीय पुल की राशि हमें नहीं मिलती तो क्या इसलिए उनको धन्यवाद दें। आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा, किसानों के लिए जो कुछ भी हो रहा है वह कांग्रेस सरकार कर रही है। भाजपा ने केवल झूठे वादों के अलावा कुछ नहीं दिया है।