स्कूल संचालकों पर मंडरा रहा शिक्षकों को सैलरी देने का संकट ,दूसरी और स्कूलों में टीचरो को बुला कर के पढ़ाने को बोला  जा रहा है — स्कूल प्रबधन क्यों नहीं समझ रहा की कोरोना वायरस का खतरा सब को है चाहे वो टीचर हो या बच्चा ,प्रबधनो से निवेदन है की टीचरो को घर से ही पढ़ाने बोले

रिपोर्ट मनप्रीत सिंह 

रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : निजी स्कूल संचालकों की मानें तो लॉकडाउन के पहले की किश्त भी पालकों ने जमा नहीं की है जिसके वजह से स्कूलों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि फीस नहीं मिल रही है लेकिन ऑनलाइन क्लास लेने वाले शिक्षकों को सैलरी देनी पड़ती है। यही नहीं फीस नहीं मिलने की वजह से स्कूल मेंटेनेंस सहित तमाम खर्चों को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है प्रदेश के प्राइवेट स्कूल, फीस को लेकर आए दिन नए आदेशों से असमंजस की स्थिति में है कि फीस लें या नहीं। पहले केंद्र की ओर से सर्कुलर जारी हुआ था कि ट्युशन फी ले सकते हैं, लेकिन हाल ही में जिला शिक्षा कार्यालय से सभी निजी स्कूलों को फीस ना लेने का आदेश जारी हुआ है।

आदेशानुसार लॉकडाउन के दौरान फीस लेने पर मान्यता रद्द होने तक जैसी कार्रवाई की जा सकती है। आदेश में साफ तौर पर लिखा है कि कोई भी निजी स्कूल मोबाइल के जरिए या पालकों को बुलाकर फीस के लिए दबाव नहीं बना सकते। देखा जा रहा था कि प्राइवेट स्कूल लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लासेस के नाम पर फीस वसूल रहे थे। जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने फीस नहीं लेने को लेकर आदेश जारी किया था। फीस लेने ना लेने के बीच निजी स्कूलों के सामने आर्थिक समस्याएं सामने आ रही है। जिसमें सबसे ज्यादा स्कूल के शिक्षकों को सैलरी देना निजी स्कूलों के लिए परेशानी बन गया है।

इन स्कूलों में सैलरी न मिलने से यहाँ की टीचरे खाने को मोहताज़ हो गयी है 

 १} डैज़ल पब्लिक स्कूल , श्रीनगर,गुढ़ियारी

२} सिंसु संस्कार कुन्द्रापारा रायपुर 

३}राधा कृष्णा स्कूल रायपुर 

४}विद्या ज्योति स्कूल रायपुर 

५}माँ भारती  स्कूल रायपुर 

दूसरी और स्कूलों में टीचरो को बुला कर के पढ़ाने को बोला  जा रहा है बता दे की कोरोना वायरस का खतरा सब को है , चाहे वो टीचर हो या बच्चा , नियम दोनों के लिए लागु है ,इस पर स्कूल प्रबधन क्यों अनसुना कर रहा है ,नियमो के विरुद चल रहे ऐसे स्कूलों पर कार्यवाही करने हमने शिक्षा विभाग में बात की है ,अब ये देखना बाकी है की शिक्षा विभाग इस कड़ी में क्या कदम उठता है , स्कूल प्रबधनो से निवेदन है की टीचरो को घर से ही पढ़ाने के लिए बोले , कल को अगर कोई घटना गटती है तो इसे स्कूल प्रबधनो की गलती ही माना जाएगा l  छत्तीसगढ़ विशेष इसके  ऊपर खास नजर बनाया हुआ है ,और समय समय पर बच्चो /अभिवावको /टीचरो की परेशानी को समझते हुए कार्य कर रहा है एवं आप सब के साथ है l 

देश मे कोरोना काल मे आर्थिक ढाचा पूरी तरह से लड़खड़ा गया हैं । देश में 70 दिन से अधिक दिनों तक आम जनता की हालत पतली हो गई हैं । आर्थिक स्थिति में बड़े-बड़े फैक्ट्री , स्कूल-कॉलेज परिवहन , दुकानदार, मजदूर सभी लोग प्रभावित हुए । इससे कोई अछूता नहीं रह गया है । सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति भरपाई करने के लिए मजदूर से लेकर फैक्ट्री मालिक तक, परिवहन वालो को भी छूट देने की बात चल रही है । देश मे सभी व्यवसायी , मजदूर, फैक्ट्री, परिवहन लोगो को छूट देने की बात कर सकते हो तो शिक्षा विभाग को छूट देने में सरकार को क्यों ऐतराज़ हो रही है। शिक्षा  विभाग एक ऐसा विभाग है  ,जहां पर दुनिया के अधिकांश लोगों की शिक्षा  दिक्छा हुई होगी । उस मंदिर जैसे स्कूलो को आर्थिक सहायता देने में सरकार की पसीना क्यो छूट रहा  हैं । कारण साफ है क्योकि इसमे कमीशन का कोई खेल नही है , अधिकारियों को कोई  रोल नही ।

कोरोना काल मे तो अधिकारी 95 प्रतिशत पानी का छिड़काव कर लाखो करोड़ो पाकिट में भरकर लाल हो गए । 20 /25 फिट के ऊपर से एक एक बूंद दवाई छिड़काव किया गया । उसको अधिकारी बोलते हैं कि सेनेटाइजर किया गया । जिस घर मे पाजिटिव केस  निकला यानी मोहल्ले सील,अधिकारी फिर हो गए लाल ।

इधर स्कुल वालो के पास टीचरो को भत्ता देने के लिए पैसे नही है । स्कुल बंद होने की कगार पर हैं। स्कुल की निकली खाल ।  निश्चित ही 20 से 25 प्रतिशत निजी स्कूल की टीचर बेरोजगार होने मि संभावना है । टीचरो के परिवारों की रोजी रोटी कैसे चल रही है , कोई भी अधिकारी इस पर नजर नही डालता , बल्कि कहते है फीस मत वसूलों । ऐसे बेवकूफ लोगो के बीबी बच्चे आर्थिक स्थिति से गुजरते तो पता चलता । खाने पीने के लाले पड़ते तो उन लोगो को कोई भीख नही देता । टीचर वर्ग जल्दी से कोई दूसरा काम भी नही कर सकता । क्योकि टीचर एक मान/ सम्मान की जिंदगी चाहता हैं न् कि भीख वाला।

 

 

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