
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH :रायपुर, यूपी के कानपुर का एक मामूली पान ठेला व्यवसायी से गैंगस्टर बने विकास दुबे को देखते हुए राजधानी पुलिस ने भी सबक ले लिया है। आलम यह है कि अब राजधानी पुलिस ने शनिवार से डिजिटल डायरी बनाने की कवायद शुरू कर दी है। राजधानी सहित जिलेभर के हिस्ट्रीशीटर से लेकर छोटे-मोटे बदमाशों और अंतराज्यीय गिरोह के बदमाशों की कुंडली अब डिजिटल फार्मेट में तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है।
रायपुर पुलिस ने अब उनके आधार, पैन कार्ड समेत सभी दस्तावेज मंगाए हैं, पूरे खानदान की हिस्ट्री पतासाजी हो रही है। इतना ही नहीं, गुंडों के दोस्तों के बारे में रिकार्ड बनाया जा रहा है। डीजीपी डीएम अवस्थी ने पहले ही तल्ख लब्जों में कह दिया है कि छग में कोई विकास दुबे नहीं चाहिए। इसका सीधा अर्थ है कि प्रदेश में किसी ने भी अपराधिक गतिविधियों के जरिए सिर उठाने की कोशिश भी की, तो उसे अंजाम तक पहुंचा दिया जाएगा।
पुलिस का खौफ ऐसा है कि रायपुर के आधे से ज्यादा गुंडे शहर से गायब हो गए हैं। पुलिस यह पता कर रही है कि बदमाशों के बैंक खातों में कितना बैलेंस है? अगर बैंक में बड़ी राशि है तो वह कहां से पहुंची है। गुंडा-बदमाश ने एक महीने में किस-किस से संवाद या फिर मित्रता की है, इसका हिसाब अब थानों रखा जा रहा है। शुरूआत रायपुर के नए पुलिस कप्तान अजय यादव के निर्देश पर शनिवार से हो गई है, जहां पुलिस ने नए फार्मेट में पुराने अपराधियों का डाटा बेस तैयार करने कवायद तेज की है। पेन नंबर, आधार नंबर के साथ ही अपराधियों का पूरा बायोडाटा थाने के डिजीटल लॉकर में कैद होगा। यही नहीं अपराधी से जुड़े करीबियों के फोन नंबर और घर के पते वेरिफाई करते हुए अलग से उनका भी एकाउंट खुलेगा। एसएसपी अजय यादव ने एक दिन पहले सभी थानेदारों को दिशा निर्देश जारी कर जल्द से जल्द सुपुर्द करने को कहा है।
पिछले हफ्ते पुलिस ने आर्थिक अपराधों में संलिप्त पुराने बदमाशों की नई हिस्ट्रीशीट खोलते हुए गुंडा लिस्ट और निगरानी बदमाशों की नई सूची जारी की थी। डेढ़ सौ से ज्यादा नए बदमाशों को पुरानी सूची में शामिल किया। अब नए फर्मेट में बदमाशों के लिए डिजीटल कुंडली का ब्योरा बनाने की व्यवस्था कायम की है।
एएसपी तारकेश्वर पटेल ने बताया, केवल निगरानी, गुंडा-बदमाश ही नहीं चाकूबाजी में संलिप्त रहने वालों को भी सूचीबद्ध कर उनसे बैंक खाता नंबर की जानकारी लेने कहा गया है। थानेदार निगरानियों को बुलाकर थानों में उनका डाटा अपलोड करेंगे। शहर में कई गुंडे बदमाश गायब हैं। पते पर तस्दीकी नहीं होने पर रिश्तेदारों और दूसरे ठिकानों में भी खोजबीन शुरू कर दी गई है। रायपुर जिले के 1 लाख से ज्यादा केस डिजिटल लॉकर में सीसीटीएनएस- क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्किंग सिस्टम प्रोजेक्ट के तहत में रायपुर जिले के तकरीबन एक लाख प्रकरणों को डाटा कंप्यूटरकृत प्रणाली से सुरक्षित किया जा रहा है। अब गुंडे बदमाशों का डाटा बेस अपडेट किया जाएगा। केस के साथ अपराधियों का पर्सनल डाटा भी आसानी से मिल सकेगा।