ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त होने भगवान श्रीराम ने इसी नदी पर किया था स्नान

Report manpreet singh 

 RAIPUR chhattisgarh VISHESH : भारत की पवित्र नदियों की एक लंबी श्रंृखला है। इन्हीं में से एक है गोमती नदी, जो गंगा नदी की सहायक नदी है। पुराणों के अनुसार गोमती नदी को ब्रह्मर्षि वशिष्ठ की पुत्री माना गया है। पुराणों में कहा गया है कि एकादशी को इस नदी में स्नान करने से मानव के संपूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार गोमती भारत की उन पवित्र नदियों में से है जो मोक्ष प्राप्ति का मार्ग हैं। 

पौराणिक मान्यता ये भी है कि रावण वध के पश्चात ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिये भगवान श्री राम ने भी अपने गुरु महर्षि वशिष्ठ के आदेशानुसार इसी पवित्र पावन आदि-गंगा गोमती नदी में स्नान किया था एवं अपने धनुष को भी यहीं पर धोया था और स्वयं को ब्राह्मण की हत्या के पाप से मुक्त किया था। 

 गोमती के किनारे भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम ने अपने अपराध का प्रायश्चित किया था। भगवान बुद्ध ने इसके तटों पर विश्राम किया था और धम्म के उपदेश दिए होंगे। चीनी यात्री ह्वेनसांग इसके किनारों से होकर गुजरे थे। पृथ्वीराज चौहान के शत्रु बने राजा जयचंद ने मशहूर योद्धा बंधुओं आल्हा- ऊदल को पासी और भारशिवों का दमन करने के लिए यहां भेजा था। मुगल बादशाह अकबर ने यहीं पर वाजपेय यज्ञ कराने के लिए एक लाख रुपये ब्राह्मणों को दिये थे और तब गोमती का तट वैदिक ऋचाओं से गूंज उठा था। गोस्वामी तुलसीदास की प्रिय नदी यही धेनुमती तो थी। लोगों का मानना है कि जो भी व्यक्ति गंगा दशहरा के अवसर पर यहां स्नान करता है, उसके सभी पाप आदि गंगा गोमती नदी में धुल जाते हैं। गोमती नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से हुआ है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ इस नदी के किनारे बसी हुई है। यह वाराणसी के निकट सैदपुर के पास कैथी नामक स्थान पर गंगा में मिल जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MATS UNIVERSITY

ADMISSION OPEN


This will close in 20 seconds