26 सितंबर को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति 70 साल बाद धरती के सबसे नजदीक आने जा रहा

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH : 26 सितंबर को सौरमंडल में एक और अद्भुत घटना होने जा रही है। सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति 70 साल बाद धरती के सबसे नजदीक आने जा रहा है। नासा ने इसके बारे में एक ब्लॉग पोस्ट में बताया है। नासा का कहना है कि अगर धरती की सतह से देखें तो कोई भी खगोलीय वस्तु या कोई ग्रह उल्टी दिशा में तब आता है जब वह पूर्व में उदय हो।

ऐसा इसलिए क्योंकि सूर्य पश्चिम में जाकर छिपता है। ऐसे में पूर्व में आई कोई खगोलीय वस्तु या ग्रह सूरज के ठीक उल्टी दिशा में दिखाई देते हैं। नासा ने एक ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से इसकी जानकारी दी है। इसी तरह बृहस्पति के लिए कहा गया है कि यह हर 13 महीने में सूरज के उल्टी दिशा में आता है। इसके कारण यह ग्रह और ज्यादा बड़ा और चमकीला दिखता है।

लेकिन, अबकी बार घटना अलग है, क्योंकि बृहस्पति न सिर्फ उल्टी दिशा में होगा बल्कि यह धरती के सबसे करीब भी होगा, जो कि 70 साल के बाद होने जा रहा है। इसके अलावा ये भी कहा गया है कि बृहस्पति का उल्टी दिशा में होना और धरती के सबसे करीब होना, दोनों घटनाएं एक साथ नहीं हो सकती हैं। क्योंकि पृथ्वी और बृहस्पति दोनों ही ग्रह इस तरह से ऑर्बिट में घूमते हैं कि ये दोनों घटनाएं एक साथ नहीं हो पाती हैं।

इसका अर्थ ये निकलता है कि पूरे साल ये दोनों ग्रह एक दूसरे से अलग अलग दूरियों पर गुजरते हैं। अबकी बार जो घटना होने जा रही है, जब बृहस्पति धरती के सबसे करीब होगा, उस वक्त धरती और बृहस्पति के बीच की दूरी 36.5 करोड़ मील यानि कि लगभग 58.7 करोड़ किलोमीटर होगी। अगर दोनों के बीच की सबसे अधिक दूरी को देखा जाए तो यह धरती से लगभग 96.5 करोड़ किलोमीटर दूर से गुजरता है।NASA के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के एक रिसर्च एस्ट्रोफिजिसिस्ट Adam Kobelski का कहना है कि अच्छी दूरबीन के साथ इसकी बैंडिंग (कम से कम सेंट्रल बैंड) और तीन या चार गैलीलियन सैटेलाइट दिखाई देने चाहिेएं।

बृहस्पति के बारे में कहा जाता है कि इसके पास 53 चंद्रमा हैं, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि इसके कुल 79 चंद्रमाओं को खोजा जा चुका है। इसके सबसे बड़े चार चंद्रमाओं Io, Europa, Ganymede और Callistoको गैलीलियन सैटेलाइट कहा जाता है। Galileo Galilei ने इन्हें सबसे पहले 1610 में ऑब्जर्व किया था, उसके बाद से ही इन्हें गैलीलियन सैटेलाइट कहा जाता है। वैज्ञानिक मानते हैं बृहस्पति के बारे में स्टडी करने से सौर मंडल के बारे में और भी खोजें की जा सकती हैं।

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