अवैध प्लाटिंग की जानकारी के बावजूद रजिस्ट्री —- कार्रवाई के लिए कलेक्टर ने दिए आदेश
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : राजधानी में अवैध प्लाटिंग जोरों पर चल रही है। नगर निगम अमला एक बार अवैध प्लटिंग की दीवार को गिराकर चला जाता है लेकिन किसी पर एफआईआर दर्ज नहीं हो पाती है। इसी तरह के एक मामले की शिकायत कलेक्टर के पास की गई है।
जिस पर कलेक्टर ने जांच कराने के लिए निगम के साथ राजस्व अधिकारी से कार्रवाही कराने के निर्देश दिए हैं। बोरिया खुर्द में और आसपास भूमि में अवैध प्लाटिंग की जा रही है। रोजाना इस क्षेत्र में दो दर्जन से ज्यादा रजिस्ट्री हो रही है।
जिसका लेआउट और रजिस्ट्री कॉपी समेत कलेक्टर से शिकायत की गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें कुछ भूमि निजी और बांकी की भूमि शासकीय दर्ज है। एेसे में कलेक्टर ने एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही है।अवैध प्लाटिंग के मामले में जैसे ही नगर तथा ग्राम निवेश को जानकारी मिलती है, वह इसकी जानकारी रजिस्ट्री विभाग को भेज देते हैं लेकिन रजिस्ट्री कार्यालय में मिलीभगत के चलते धड़ल्ले से रजिस्ट्री होती है।
रजिस्ट्रार कार्यालय के मातहत सूची देखने या मिलान करने की कोशिश नहीं करते। हाल ही में 5 डिसमिल तक के छोटे प्लाट की रजिस्ट्री करने की छूट शासन से देने के बाद कई गुना रजिस्ट्री हुई। इससे शासन को काफी राजस्व प्राप्त हुआ।
जानिए अवैध प्लाटिंग की सूची में फंसते हैं किसान
अवैध प्लाटिंग यानी कि बिना ले आउट और डायवर्सन के भूमि का उप विभाजन। संयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश विभाग में जितने भी मामले दर्ज हुए बीरगांव, बोरिया खुर्द, के हैं। सूची को देखने से मालूम पड़ता है कि इसमें रसूखदार बिल्डरों की बजाय उनके दलाल और सर्वाधिक किसानों के नाम हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि सारे कालोनाइजर और बिल्डर कायदे से चल रहे हैं। एक बिल्डर ने नाम न छापने की शर्त पर खुलासा किया कि वह लोग किसानों से सीधे सौदा कर टुकड़ों में प्लाट की रजिस्ट्री कराते हैं। इसका फायदा यह रहता है कि एकड़ के भाव में खरीदी गई जमीन की वह कई गुना दर पर वर्गफुट में बिक्री करने में सफल रहते हैं और उनकी संलग्नता भी नजर नहीं आती।
दो साल में एक भी प्रकरण दर्ज नहीं
नगर तथा ग्राम निवेश विभाग में जितने भी मामले दर्ज हुए वह अगस्त 2018 तक के हैं। इसके बाद अवैध प्लाटिंग का कोई भी मामला दर्ज नहीं हुआ। इस बीच संयुक्त संचालक के पद पर कई अधिकारी बदल गए। कानून में भी बार बार परिवर्तन होते रहे।
एफआईआर से परहेज
अवैध प्लाटिंग के मामले में निगम आयुक्त की ओर से पुलिस थानों को चिट्ठी भेजी गई पर कोई मामला दर्ज नहीं हुआ। इधर कालोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बंधन तथा शर्तें नियम 2013 में दो मर्तबा 31 दिसंबर 2014 और 31 जुलाई 2019 में संशोधन पर संशोधन हुए। पहला संशोधन 25 प्रतिशत तथा दूसरे में मात्र 10 प्रतिशत आवास के निर्माण पर नियमितीकरण करने का प्रावधान किया गया।
शिकायत मिली है। कार्रवाई के लिए एसडीएम को कहा गया है। अवैध प्लाटिंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
डॉ.एस.भारतीदासन, कलेक्टर रायपुर