गृह मंत्रालय : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुई चर्चा का उत्तर दिया
पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है तो संविधान में भारतीयता कभी दिखाई नहीं देगी
एक परिवार पार्टी को परिवार की जागीर समझता है और साथ ही संविधान को भी निजी जागीर समझता है
हमारी सरकार द्वारा किये गए संविधान संशोधन लोकतंत्र को मज़बूत करने और जिनको अधिकार नहीं है ऐसे लोगों को समकक्ष अधिकार देने के लिए थे और विपक्षी पार्टी की सत्ता को बनाए रखने के लिए परिवर्तन किए गए
विपक्ष ने संविधान को हाथ में रखकर झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास किया है
संविधान सभाओं में लहराने और बहकाने का मुद्दा नहीं है, संविधान एक विश्वास और श्रद्धा है
वीर सावरकर जी के बारे में अपमानजनक बातें करने वाले लोगों को सावरकर जी की महानता पर इंदिरा गांधी के विचारों को पढ़ना चाहिए
मुस्लिम पर्सनल लॉ इस देश में संविधान आने के बाद तुष्टिकरण की शुरुआत है
शरिया लागू करना है तो पूरा कीजिए, क्रिमिनल से क्यों निकाल दिया
नेहरू जी ने ‘भारत’ नाम का विरोध किया… अगर इंडिया के चश्मे से ‘भारत’ को देखोगे, तो ‘भारत’ कभी समझ नहीं आएगा
देशभक्ति, वीरता और बलिदान को धर्म, विचारधारा और पार्टी के साथ मत जोडिए, वीर, देशभक्त और बलिदानी किसी धर्म और विचारधारा का नहीं होता
राजनीतिक लाभ के लिए लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल को 6 साल तक बढ़ाने जैसी निर्लज्जता विपक्षी पार्टी के अलावा दुनिया में किसी और ने नहीं की
Posted On: 17 DEC 2024 10:09PM by PIB Delhi
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुई चर्चा का उत्तर दिया।
चर्चा का जवाब देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि ये चर्चा एक ओर जनता को ये अहसास कराएगी कि संविधान के कारण हमारा देश कितना आगे बढ़ा और दूसरी ओर संविधान की मूल भावना के कारण ही 75 साल में लोकतंत्र की जड़ें गहरी होने का अहसास भी कराएगी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही ये भी अहसास होता है कि जब संविधान की भावनाओं के साथ कोई छेड़छाड़ का प्रयास करता है तो किस प्रकार की घटनाएं होती हैं। श्री शाह ने कहा कि संविधान पर दोनों सदनों में हुई चर्चा हमारे किशोरों और युवा पीढ़ी के साथ-साथ संसद में बैठकर देश के भविष्य का निर्णय करने वालों के लिए शिक्षाप्रद साबित होगी। उन्होंने कहा कि ये चर्चा देश की जनता के लिए भी ये तय करने में मदद करेगी कि किस पार्टी ने संविधान का सम्मान किया और किस पार्टी ने नहीं किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि लंबी आज़ादी की लड़ाई के बाद जब भारत आज़ाद हुआ तो दुनिया में कई देशों का मानना था कि ये देश बिखर जाएगा और आर्थिक रूप से कभी आत्मनिर्भर नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा कि आज संविधान को स्वीकार करने के 75 साल बाद जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, तो हमें सरदार पटेल का धन्यवाद करना चाहिए कि उनके अथक परिश्रम के कारण आज देश एक होकर मज़बूती के साथ दुनिया के सामने खड़ा है। श्री शाह ने कहा कि पिछले 75 साल में हमारे पड़ोस में कई देशों में कई बार लोकतंत्र को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन भारत के लोकतंत्र की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि बिना किसी रक्तपात के हमारे यहां अनेक परिवर्तन हुए। उन्होंने कहा कि भारत की जनता ने अनेक तानाशाहों के गुमान, अभिमान और अहंकार को चूर-चूर करने का काम लोकतांत्रिक तरीके से किया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि जो लोग कहते थे कि हम आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हो सकेंगे, उन्हें भी देश की जनता और हमारे संविधान की खूबसूरती ने जवाब दिया है और आज हम विश्व का पांचवा सबसे बड़ा अर्थतंत्र बनकर सम्मान के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि जिस ब्रिटेन ने सालों तक हम पर राज किया, आज वो भी हमारे पीछे खड़ा है और ये हम सबके लिए गौरव और संकल्प लेने का पल है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 31 घंटे तक चली इस चर्चा में 80 से ज़्यादा सांसदों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि आज हम जिस मुकाम पर खड़े हैं, वहां से महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की वो भविष्यवाणी सच होती दिखाई देती है जब भारत माता अपने दैदीप्यमान और ओजस्वी स्वरूप से खड़ी होगी तब दुनिया की आंखें चकाचौंध हो जाएंगी और पूरी दुनिया भारत की ओर देखेगी। उन्होंने कहा कि उस दिन के नज़दीक आने का सफर हमने काफी हद तक पूरा कर लिया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमारा संविधान, संविधान सभा और संविधान की रचना की प्रक्रिया दुनिया के सभी संविधानों में अनूठी है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां दुनिया का सबसे ज़्यादा विस्तृत और लिखित संविधान, चर्चा के हमारे पारंपरिक लक्षणों के साथ बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस संविधान सभा में 299 सदस्य थे, 22 धर्मों, जातियों और समुदायों के सदस्य थे, हर प्रिंसली स्टेट और राज्य का प्रतिनिधित्व था। उन्होंने कहा कि एक प्रकार से समावेशी प्रतिनिधित्व के साथ भारत का भविष्य तय करने, यानी संविधान की रचने की हमारी प्रक्रिया आगे बढ़ी। श्री शाह ने कहा कि 2 साल, 11 माह और 18 दिन तक अनवरत विस्तृत चर्चा चली और देश के भविष्य, देश चलाने के नियम और देश की परंपरा को समाहित करते हुए देश को आगे ले जाने का संकल्प बना। उन्होंने कहा कि 13 समितियों में कार्य विभाजन किया गया, 7 सदस्यीय ड्राफ्टिंग समिति बनी और शायद ही दुनिया का कोई ऐसा संविधान होगा जिसका ड्राफ्ट जनता को कमेंट्स के लिए दिया गया हो। उन्होंने कहा कि इतनी गहरी लोकतांत्रिक परंपरा और प्रक्रिया से बना हमारा संविधान, 295 अनुच्छेदों, 22 भागों और 12 अनुसूचियों में बंटा है और ये सभी विश्व के किसी भी संविधान से अधिक उदार मानव मूल्यों का सृजन करने वाले रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि हमें इस पर गर्व है और हम सभी इसे हमेशा मस्तक झुकाकर प्रणाम करते हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारे संविधान में भगवान राम, बुद्ध, और महावीर, दसवें गुरू गोविंद सिंह के भी चित्र मिलेंगे। इसके साथ साथ, गुरुकुल के माध्यम से हमारी शिक्षा नीति कैसी होनी चाहिए, इसका संदेश भी मिलता है। इसी प्रकार, भगवान श्री राम, सीता और लक्ष्मण को एक प्रकार से हमारे अधिकारों का चित्रण करते हुए दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि भगवत गीता के संदेश के चित्र, शिवाजी महाराज और लक्ष्मीबाई को भी संविधान में स्थान देकर देशभक्ति का पाठ हमें सिखाया गया है। श्री शाह ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति का स्मरण कराता है और नटराज जीवन में संतुलन के सिद्धांत को इंगित करते हैं। श्री शाह ने कहा कि अगर संदेश लेना नहीं आता तो संविधान का भी कोई उपयोग नहीं है। उन्होंने कहा कि ये सारे चित्र हमारे हज़ारों साल पुराने भारतवर्ष के जीवन को उद्घोषित करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि कोई ये न समझे कि हमारा संविधान दुनिया के संविधानों की नकल है। उन्होंने कहा कि हमने हर संविधान का अभ्यास ज़रूर किया है क्योंकि हमारे ऋगवेद में कहा गया है कि हर कोने से हमें अच्छाई और शुभ विचार प्राप्त हों और इसे स्वीकारने के लिए हमारा मन खुला हो।
श्री अमित शाह ने कहा कि पढ़ने का चश्मा अगर विदेशी है तो संविधान में भारतीयता कभी दिखाई नहीं देगी। उन्होंने कहा कि जिन्होंने भी संविधान को सिर्फ शब्दों में छापा है और चित्रों को निकाल दिया है, उन्होंने संविधान की भावनाओं के साथ छल किया है। श्री शाह ने कहा कि हमारी संविधान सभा के सदस्यों, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ बीआर अंबेडकर, सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू, श्री काटजू, के टी शाह, आयंगार, मौलाना आज़ाद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, डॉ राधाकृष्णन, के एम मुंशी जैसे विद्वानों ने अनेक चर्चाओं में हिस्सा लेकर संविधान को समद्ध और संपूर्ण बनाने का काम किया। उन्होंने कहा कि संविधान सभा के सदस्यों के अलावा, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविंद, महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले, तिलक जी, वीर सावरकर, लाला लाजपतराय के साथ-साथ राष्ट्र, लोकतंत्र और हमारी परंपराओं में उच्च मूल्यों को स्थापित करने वाले हर महापुरुष की भावनाओं का उल्लेख कर किसी न किसी सिद्धांत को इसमें स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि जिस संविधान में इतने सारे मनीषियों के अच्छा विचार हों, उसे सफल होना ही था।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारे संविधान को 75 साल हो गए हैं औऱ इसे किस प्रकार से राजनीतिक दलों और सरकारों ने आगे बढ़ाया, इसकी भी चर्चा ज़रुर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की रचना के बाद डॉ अंबेडकर ने कहा था कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, वो बुरा बन सकता है अगर जिन लोगों पर उसे चलाने की ज़िम्मेदारी है वो अच्छे न हों। इसी प्रकार कोई भी संविधान कितना भी बुरा हो, वो अच्छा साबित हो सकता है अगर उसे चलाने वालों की भूमिका सकारात्मक और अच्छी हो। श्री शाह ने कहा कि ये दोनों घटनाएं हमने संविधान के 75 साल के कालखंड में देखी हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान को कभी भी अपरिवर्तनशील नहीं माना गया है और समय के साथ देश, कानून और समाज को बदलना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान के अंदर ही अनुच्छेद 368 में संविधान संशोधन के लिए प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने 16 साल राज किया, 6 साल अटल जी ने, 10 साल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया और 5 साल और प्रधानमंत्री मोदी जी करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने 22 बार संविधान में परिवर्तन किए। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी ने 55 साल के अपने शासन में 77 संविधान परिवर्तन किए। श्री शाह ने कहा कि दोनों पार्टियों द्वारा संविधान में किए गए परिवर्तनों का उद्देश्य क्या था? क्या हमारे लोकतंत्र को मज़बूत करने या जिनको अधिकार नहीं है ऐसे लोगों को समकक्ष अधिकार देने के लिए या अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए परिवर्चन किए गए? उन्होंने कहा कि संविधान परिवर्तन के पीछे उद्देश्य से ही पार्टी का चरित्र, चलने की पद्धति और संविधान में विश्वास प्रतिबिंबित होता है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पहला संशोधन 18 जून 1951 को हुआ जिसे संविधान सभा ने ही किया। उन्होंने कहा कि इस संशोधन में 19ए को जोड़ा गया, इसका उद्देश्य क्या था और इसे किस लिए जोड़ा गया? उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी को curtail करने लिए किया गया। उन्होंने कहा कि ये संशोधन किसने किया, उस वक्त प्रधानमंत्री कौन थे। उन्होंने कहा कि पहला संविधान संशोधन अभिव्यक्ति की आजादी को रोकने के लिए लाया गया था और इसे जवाहरलाल नेहरू के लिए लाया गया था। श्री शाह ने कहा कि 24वां संविधान संशोधन इंदिरा गांधी जी की पार्टी 5 नवंबर 1971 को लाई थी। उन्होंने कहा कि 24वें संशोधन के माध्यम से संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकार कम करने का अधिकार दे दिया गया। श्री शाह ने कहा कि 39वें संविधान संशोधन ने सबी सीमाओं को पार कर दिया। उन्होंने कहा कि 10 अगस्त 1975 का वह दिन हमारे संविधान के इतिहास में हमेशा काले अक्षरों में दर्ज रहेगा जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी जी के चुनाव को अमान्य करार दिया था। उन्होंने कहा कि इंदिरा जी ने संविधान संशोधन से प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर भी प्रतिबंध लगा दिया। उन्होंने कहा कि ये संविधान संशोधन retrospective effect से किया गया था, यानी पुराना मुकदमा भी है तो वह खारिज हो जाएगा।
श्री अमित शाह ने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं जो कहते हैं कि मैं प्रधानमंत्री नहीं हूं प्रधान सेवक हूं और दूसरी ओर कोई कहता है मुझ पर मुकदमा नहीं हो सकता मैं शासक हूं और शासन के खिलाफ उंगली नहीं उठाई जाती। उन्होंने कहा कि भले संविधान ने अधिकार दिया लेकिन वह अधिकार उन्होंने समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी ही 42वां संविधान संशोधन लेकर आईं थी जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का सामान्य कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़कर 6 साल कर दिया गया था। श्री शाह ने कहा कि ऐसा इसी भय से किया था कि उस वक्त चुनाव होतं तो वे हार जाते, इसीलिए लोकसभा के कार्यकाल को ही लंबा कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि इतनी निर्लज्जता के साथ विश्व में कोई संविधान संशोधन नहीं हुआ।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में ये सरकार अपना पहला और 101वां संविधान संशोधन 1 जुलाई, 2017 को लाई जब देश के अर्थतंत्र को rhythm में लाने के लिए जीएसटी को लागू किया गया। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और कामाख्या से द्वारका तक फैले इस विशाल देश को जीएसटी के तहत लोगों की परेशानी को खत्म कर एक कानून लाने का काम नरेन्द्र मोदी जी ने लोगों की भलाई के लिए किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष जीएसटी तो लाना चाहता ता लेकिन राज्यों क क्षतिपूर्ति की गारंटी नहीं देना चाहता था। उन्होंने कहा कि हम जीएसटी भी लाए और राज्यों को विकास दर के हिसाब से कम्पेनसेशन की गारंटी भी दी और मोदी सरकार ने इस गारंटी का 10 साल तक पालन भी किया। श्री शाह ने कहा कि हम देश के अर्थतंत्र को सुचारू बनाने के लिए संशोधन लाए।
श्री अमित शाह ने कहा कि हम दूसरा संशोधन लाए, 102वां संशोधन नेश्नल कमीशन ऑफ बैकवर्ड क्लास को संवैधानिक दर्जा देने के लिए। उन्होंने कहा कि ये नरेन्द्र मोदी जी इसीलिए कर सके क्योंकि विपक्षी पार्टी ने नहीं किया था। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी की प्राथमिकता और नीति कभी भी पिछड़ी जातियों का कल्याण करने की नहीं रही। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार तीसरा संशोधन 12 जनवरी, 2019 को लाई जिसके तहत किसी भी प्रकार का आरक्षण का फायदा न पाने वाली गरीब जाति के बच्चों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया गया। श्री शाह ने कहा कि विपक्ष ने गरीब कल्याण और गरीबी हटाओ की बातें सालों तक कीं, लेकिन ये करने के लिए समय नहीं मिला और विचार नहीं किया। उन्होंने कहा कि ये विचार मोदी जी को आया और गरीबों के बच्चों को 10 फीसदी आरक्षण देशभर में दिया। उन्होंने कहा कि पहले ओबीसी की पहचान करने के लिए केन्द्र के पास अधिकार थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा कि 10 अगस्त, 2021 को लाए गए 105वें संशोधन के बाद पिछड़ेपन के निर्णय का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा मोदी सररकार का चौथा और कुल 106वां संविधान संशोधन 28 दिसंबर 2023 को लाया गया था। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम लाकर मातृ शक्ति को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया। उन्होंने कहा कि दोनो सदनों में 33 प्रतिशत नारी शक्ति की उपस्थिति होने से संविधान निर्माताओं का सपना पूरा हो सकेगा। श्री शाह ने कहा कि इसके अलावा ट्रिपल तलाक समाप्त करने के लिए कानून लाया गया है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम माताओं और बहनों के अधिकार पर विपक्ष ने हमेशा से राजनीति की है, जबकि मोदी सरकार ने इन माताओं और बहनों को उनका अधिकार दिलाया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि नयी शिक्षा नीति-2020 लाई गयी, जम्मू कश्मीर में आरक्षण देने का विधेयक पारित हुआ, तीन नये आपराधिक कानून को लागू किया गया। उन्होंने कहा कि 160 वर्ष पहले अंग्रेजों द्वारा बने आपराधिक कानूनों को बदलकर संपूर्ण आपराधिक न्यायिक प्रक्रिया को भारतीय बनाने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उन कानूनों को बदला है जो अंग्रेजी राज को बनाए रखने के लिए बनाए गये थै और इन पुराने कानूनों को बदलकर मोदी जी ने हमारे देश की संसद द्वारा बनाए गये संविधान सम्मत कानून देश को दिए हैं और देश को गुलामी की मानसिकता से आजाद किया है। उन्होंने कहा कि पहले बजट शाम को साढ़े पांच बजे पेश किया जाता था क्योंकि उस समय ब्रिटेन की महारानी की घड़ी में 11 बजते थे। उन्होंने कहा कि इस प्रता को भी अटल जी की सरकार ने बदलकर बजट पेश किये जाने की प्रक्रिया में बदलाव किया।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अब तक के चुनावों में कभी भी संविधान को लहराकर और झूठ बोलकर वोट मांगने के प्रयास नहीं किए गए थे। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि विपक्ष ने संविधान को हाथ में रखकर झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास किया है। श्री शाह ने कहा कि संविधान लहराने और बहकाने का मुद्दा नहीं है, संविधान एक विश्वास और श्रद्धा है जिसका इसका सम्मान करने की आवश्यकता है और ये काम श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र चुनावों के दौरान कई जगहों पर लोगों को जो संविधान की प्रतियां बांटी गई थीं, उनमें कई पन्ने कोरे मिले हैं। उन्होंने कहा कि 75 साल के इतिहास में संविधान के नाम पर इतना बड़ा छल कभी नहीं किया गया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि हमारे देश के जवान देश की मिट्टी पर प्राण न्यौछावर करते हैं। उन्होंने कहा कि देश की एक इंच भूमि अगर किसी को देनी है तो संविधान के अनुच्छेद 1 में बदलाव करना होता है। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी ने एग्रीमेंट करके तमिलनाडु के पास के कच्छिथिवु टापू को श्रीलंका को दे दिया और वो भी संवैधानिक संशोधन किए बिना। उन्होंने कहा कि ऐसा खिलवाड़ दुनिया के किसी भी देश के शासक ने नहीं किया है जैसा कि हमारे देश में पहले की सरकार ने किया है। श्री शाह ने कहा कि 35A को राष्ट्रपति के ऑर्डर से दाखिल किया गया पर दोनों ही सदनों से इसकी मंजूरी नहीं ली गयी थी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने धारा 370 हटाने के लिए दोनों सदनों से मंजूरी ली थी। उन्होंने कहा कि एक परिवार पार्टी को परिवार की जागीर समझता है और साथ ही संविधान को भी निजी जागीर समझता है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान लाखों लोगों को बिना किसी अपराध के जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने कहा कि उस वक्त न्यायालय में डर का माहौल था, मीडिया पर सेंसरशिप लागू थी। उन्होंने कहा कि इंडियन एक्सप्रेस ने संपादकीय पृष्ठ कोरा प्रकाशित किया था। उन्होंने कहा कि उस दौरान यह तय था जो भी एक व्यक्ति कहेगा वही कानून होगा। श्री शाह ने कहा कि यह आपातकाल सिर्फ इसलिए लगाया गया था क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी को सांसद के रूप में अयोग्य ठहरा दिया था। उन्होंने कहा कि देश को किसी प्रकार का कहीं से भी खतरा नहीं था और न ही देश की आंतरिक सुरक्षा पर कोई आंच थी, लेकिन सिर्फ सत्ता और कुर्सी बचाने के लिए आपातकाल लाया गया था।
श्री अमित शाह ने कहा कि संविधान पर यह बहस इसलिए जरूरी थी क्योंकि पिछली सरकार के कृत्यों को लोग जान सकें। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के लिए जनता ने उन्हें ऐसा दण्ड दिया है कि अब वे स्वपन में भी संविधान के साथ ऐसा खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी ने संविधान निर्माताओं की पुण्यस्मृति में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि अगर इंडिया के चश्मे से भारत को देखेंगे तो भारत समझ में नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि विकास करना है, दुनिया में सबसे आगे बढ़ना है और विरासत को अपनाकर आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि गुलामी की हर परंपरा को हम समाप्त करना चाहते हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी ने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा, इंडिया गेट पर किंग जॉर्ज पंचम की मूर्ति थी, वहां सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा लगाई। नौसेना का चिन्ह जो अंग्रेज़ देकर गए थे, हमने वीर छत्रपति शिवाजी महाराज को उसका चिन्ह बनाया। हमने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाया, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाया और उसमें अमर जवान ज्योति को विलीन करने का काम किया। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने संसद में विधिवत तरीके से सेंगोल को स्थापित किया। श्री शाह ने कहा कि हमने नई संसद बनाई और विश्वभर में भारत से चोरी की गई 345 मूर्तियां और artefacts वापस लाने का काम हमारे विदेश मंत्रालय ने किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति में हमने प्राथमिक शिक्षा को मातृभाषा में अनिवार्य किया। अंडमान निकोबार द्वीप समूह का नाम शहीद और स्वराज द्वीप रखा। लुटियंस में रेस कोर्स रोड का नाम लोककल्याण मार्ग और डलहौज़ी मार्ग का नाम दारा शिकोह के नाम पर किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने कुल 1500 से अधिक पुराने कानूनों को समाप्त किया है।
श्री अमित शाह ने कहा कि ओबीसी को आरक्षण देने के लिए 1955 में काका साहब कालेलकर कमीशन बनाया गया था लेकिन इसकी रिपोर्ट कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर काका साहब कालेलकर कमीशन का रिपोर्ट स्वीकार कर लिया गया होता तो मंडल कमीशन की रिपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती। इसके बाद मंडल कमीशन की रिपोर्ट को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी जी ने ओबीसी कमिशन को संवैधानिक मान्यता दी और पिछड़े वर्ग का सम्मान किया। श्री शाह ने कहा कि आज देश के दो राज्यों में धर्म पर आधारित आरक्षण अस्तित्व में है जो असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि दोनों सदन में जब तक हमारी पार्टी का एक भी सदस्य है, हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि UCC इसलीलिए नहीं आया क्योंकि संविधान सभा समाप्त होने के बाद चुनाव होने के बाद पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ लाया गया। उन्होंने कहा कि इस देश में संविधान आने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ ने तुष्टिकरण की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि समाज के जीवन में इतना बड़ा सामाजिक बदलाव करने वाले UCC कानून को उत्तराखंड सरकार ने मॉडल कानून के रूप में पारित किया है।
उन्होंने कहा कि जब मोदी सरकार सत्ता में आई तब मऊ में डॉक्टर अंबेडकर के जन्म स्थान पर स्मारक बना। उन्होंने कहा कि हमने 14 अप्रैल को राष्ट्रीय समरसता दिवस घोषित किया। श्री शाह ने कहा कि धारा 370 के एक टेंपरेरी प्रोविजन को अपनी गोद में 70 साल तक विपक्षी पार्टी ने खिलाने का काम किया। उन्होंने कहा कि धारा 370 हटाने के लिए लोहे का जिगर चाहिए और जब श्री नरेन्द्र मोदी जी 2019 में फिर से प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने एक ही बार में 370 और 35A को समाप्त कर दिया।
श्री अमित शाह ने कहा कि श्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 14 और 21 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को जीने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि 75 साल तक इस देश की जनता को गरीबी हटाओ का नारा देने वाले पिछली सरकारों ने हर व्यक्ति को गरीब रखा। उन्होंने कहा कि लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार ने 10 साल में 9.6 करोड़ गरीब महिलाओं को उज्जवला गैस कनेक्शन दिया, 12 करोड़ घरों को शौचालय, शुद्ध पीने का पानी 12.65 करोड़ घरों में पहुंचा, 18 हजार गावों में बिजली पहुंची, 14.5 करोड़ किसानों के खातों में 2.40 लाख करोड़ रूपया डीबीटी से ट्रांसफर हुआ। उन्होंने कहा कि 36 करोड़ आयुष्मान कार्ड बने जिससे 8.19 करोड़ रोगियों ने मुफ्त में इलाज कराया है। उन्होंने कहा कि अब मोदी सरकार 70 साल से अधिक उम्र के किसी भी आय वर्ग के व्यक्ति को 5 लाख तक का इलाज मुफ्त दे रही है ।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के 80 करोड़ लोगों को one nation one ration card दिया, पांच किलो अनाज मुफ्त दिया। 1 करोड़ रेहड़ी पटरी वाले लाभार्थियों को 11 हजार करोड़ रूपया दिया गया है और दो करोड़ लखपति दीदी बनाने का काम नरेन्द्र मोदी की सरकार ने किया है। इसके साथ ही विश्वकर्मा योजना में कारीगरों को भी मदद दी गयी है।
श्री अमित शाह ने कहा कि लोक सभा में चर्चा के दौरान सावरकर जी का उल्लेख हुआ। उन्होंने कहाकि उन्होंने कहा कि सावरकर जी के नाम के आगे वीर किसी पार्टी, सत्ता द्वारा नहीं दिया गया है, बल्कि देश के 140 करोड़ लोगों ने उनकी वीरता के कारण दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे देशभक्त के बारे में देश की संसद में कुछ भी कह दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 1857 से लेकर 1947 तक के स्वतंत्रता संग्राम में दो आजीवन कारावास सिर्फ वीर सावरकर को दिया गया है। श्री शाह ने कहा कि सावरकर जी ने कहा है कि हे मातृभूमि, तेरे बिना जीवन मृत्यु समान है और तेरे बिना जीवन भी मृत्यु जैसा है।
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