प्रदेश के 33 जिलों के ढाई करोड़ लेटेस्ट जमीन खसरे /रिकार्ड ताजा और पिछले मालिकों का ब्योरा के साथ ऑनलाइन अपडेट एवं उपलोडेड : फर्जी रजिस्ट्री का खतरा होगा कम

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH प्रदेश के 33 जिलों में हर जमीन के लेटेस्ट (दो साल) जमीन रिकार्ड ऑनलाइन कर दिए गए है जो कि तकरीबन 10 साल की कवायद का नतीज़ा है, इसी हफ्ते 2021-22 और 1 अप्रैल 2022 से अब तक के रिकार्ड ऑनलाइन करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है । कितनी जमीन का रिकार्ड ऑनलाइन हुआ है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि प्रदेशभर में 2 करोड़ 41 लाख 68 हजार से ज्यादा खसरा नंबर का ब्योरा ऑनलाइन कर दिया गया है।

इसी तरह, 64 लाख से ज्यादा जमीनों के खाते भुईंया में अपडेट हो गए हैं। रिकार्ड ऑनलाइन करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब राज्य में बिना जमीन के फर्जी रजिस्ट्री या एक ही जमीन की कई लोगों के नाम रजिस्ट्री का खतरा लगभग खत्म हो गया है। राज्य शासन का दावा है कि हर रजिस्ट्री से पहले दिख जाएगा कि जमीन किसके नाम पर है, क्योंकि उसे वही बेच सकता है। यही नहीं, बी-वन और जमीन खातों की जानकारी के लिए अब 99% मामलों में पटवारी या आरआई के दफ्तर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

अब सब कुछ आप ऑनलाइन ही देख सकेंगे आपको बता दे कि जमीन रिकार्ड ऑनलाइन करने के लिए 2012 से कोशिश चल रही है। हर जिले के कलेक्टर पिछले एक दशक से एक अलग सेटअप के साथ इसे करवा रहे हैं। शुरू में कंप्यूटरों की कमी और फिर आरआई-पटवारियों की ट्रेनिंग नहीं होने के कारण काम बेहद धीमी गति से चलता रहा। और जब ट्रेनिंग पूरी हुई और हर तहसील में सिस्टम लगे, तब कोरोना आ गया। कोरोना के पहले जिलों में औसतन 75 फीसदी दस्तावेज ऑनलाइन किए गए थे। कोरोना के बाद तेजी से काम किया गया और हर जिले में 100 फीसदी जमीन के दस्तावेज ऑनलाइन कर दिए गए हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा आम लोगों को हो रहा है। जमीन की पड़ताल भी आसानी से कुछ मिनटों में ही हो जा रही है।

छत्तीसगढ़ के लोगों को पहली बार जमीन के पुराने रिकार्ड भी दिखेंगे। यानी 2022-23 के पहले जमीन के दस्तावेज किनके नाम पर थे इसकी जानकारी हिस्ट्री के ऑप्शन में जाने पर मिल जाएगी। अब सभी जिलों में ऐसी व्यवस्था बना दी गई है कि नए सभी रिकार्ड ऑनलाइन दर्ज हो रहे हैं, क्योंकि रजिस्ट्रियां भी ऑनलाइन हो रही है। पुराने-नए रिकार्ड ऑनलाइन होने की वजह से लोगों को जमीन की खरीदी-बिक्री में बड़ी मदद मिल रही है। अब दावा किया जा रहा है कि ऑनलाइन रजिस्ट्री होने के साथ ही जमीन का नामांतरण यानी नए मालिक का नाम भी ऑनलाइन ही अपडेट हो जाएगा। इसके लिए तहसील में नामांतरण करवाने के लिए आवेदन देने की जरूरत नहीं होगी।
राज्य बनने के बाद पहली बार ऐसा हुआ, जब जगदलपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, बलरामपुर, सुकमा समेत सभी नक्सल प्रभावित जिलों में जमीन दस्तावेजों को ऑनलाइन कर दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि इस सिस्टम के बाद से ही वहां आदिवासियों के जमीन हड़पने के मामले भी कम हुए हैं। लोगों को पहले ही पता चल जाता है कि कौन सी जमीन किसके नाम पर है। जमीनों के दस्तावेजों को ऑनलाइन करने का काम पहले शहरों में तेज किया गया। ग्रामीण इलाकों में मौजूद तहसीलों में रिकार्ड ढूंढने में सबसे ज्यादा समय लगा। इस वजह से ऐसे इलाके बाद में ऑनलाइन हुए। अब राज्य के हर गांव की जमीन के रिकार्ड भी ऑनलाइन दिख रहे हैं।

आपको बता दे कि भुईंया ऑनलाइन में खसरा नंबर एवं जमीन मालिक के नाम के अनुसार प्लॉट की जानकारी देख सकते हैं lभुईंया में जमीन मालिक का नाम नहीं दिख रहा है तो उसकी इंट्री के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।जमीन का खसरा, बी-1 का प्रिंट निकाल सकते हैं जो कि पूर्णता निशुल्क है। डिजिटल हस्ताक्षर के तहत यह भी मान्य रहेगा ।जमीन के किसी दस्तावेज या रिकार्ड में डिजिटल हस्ताक्षर नहीं है तो आवेदन देकर तुरंत जुड़वा सकते हैं lनामांतरण के लिए दर्ज आवेदन मे लेटेस्ट में जो भी कार्यवाही की गई है उसकी वर्तमान स्थिति देख सकते हैं।ऑनलाइन दर्ज रिकार्ड में नाम परिवर्तन, सीमांकन या अन्य परिवर्तन की जानकारी एसएमएस से मिल जाएगी।

“राज्य के सभी जिलों में जमीन के लेटेस्ट रिकार्ड ऑनलाइन कर दिए गए हैं। अब सभी रिकार्ड ऑनलाइन देखने के साथ ही उसका प्रिंट भी ले सकते हैं। हिस्ट्री के ऑप्शन में पिछले रिकार्ड की भी जानकारी मिल जाएगी।”
-रमेश कुमार शर्मा, संचालक भू-अभिलेख विभाग

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