रिज़र्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी के साथ ही आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने की घोषणा की

Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मोनिटरी कमिटी की समीक्षा बैठक हुई जिसके बाद रिज़र्व बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की घोषणा की है.आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाने की घोषणा की है जो तत्काल प्रभाव से लागू होगा.
इसी के साथ रेपो रेट 5.90 फ़ीसदी हो गया है जो तीन साल में सबसे अधिक है.रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट बढ़ने से होम लोन, पर्सनल लोन समेत दूसरे लोन भी महंगे हो जाएंगे.आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ उम्मीद के मुताबिक नहीं रही है.
हालांकि 13.5% की दर दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर थी.उन्होंने कहा, ‘‘लगातार बढ़ रहे भू-राजनीतिक तनावों और कमज़ोर वैश्विक वित्तीय बाजार की वजह से पैदा हुई अनिश्चितताओं के कारण मुद्रास्फीति आज लगभग 7% पर है और हमें उम्मीद है कि इस वर्ष की दूसरी छमाही में यह लगभग 6% पर बनी रहेगी.’’आरबीआई गवर्नर ने कहा कि दूसरी तिमाही को लेकर आंकड़े संकेत करते हैं कि आर्थिक गतिविधियां बेहतर बनी रहेंगी, निजी खपत में तेजी आ रही है और ग्रामीण क्षेत्र में मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है, निवेश की मांग बढ़ रही है. कृषि क्षेत्र मज़बूत बना हुआ है.लेकिन इस फ़ैसले की ज़रूरत क्यों पड़ी?
यह अपेक्षित था कि भारत का सेंट्रल बैंक यानी रिपज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया, रेपो रेट बढ़ाएगा. अभी यह प्रातमिकता दी जा रही है, बढ़ते दामों की लहर को.उनके मुताबिक़, “इस साल की शुरुआत से ही हम देख रहे हैं कि दाम बढ़ते जा रहे हैं और आम जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. हर चीज़ की क़ीमत बढ़ी हुई है और ये सिर्फ़ भारत में ही नहीं है. पूरे विश्व में यही स्थिति बनी हुई है और इसी के चलते हर देश का जो सेंट्रल बैंक है वो अपनी नीतियों को इस प्रकार से आगे बढ़ा रहा है. तो लैंडिंग रेट्स को बढ़ाया जा रहा है और यही आज भारत में भी हुआ
.”रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने अपनी घोषणा के दौरान कहा कि बढ़ती क़ीमतों का जो दर है, वो अभी तक़रीबन छह प्रतिशत पर रहेगा और कुछ महीनों तक बना रहेगा. इसका मतलब ये हुआ कि जो कंफर्ट ज़ोन है यानी जिस दर की सीमा में महंगाई को रहना चाहिए, वो आरबीआी के लिए चार फ़ीसदी है. ऐसे में मौजूदा स्थिति इसके बाहर की है.