इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति को कोविड-19 के मरीज के तौर पर अस्पताल मे मृत्यु उसके ह्रदय गति रुकने से या किसी अन्य कारण से हो , यह मृत्यु कोविड-19 से हुई मृत्यु मानी जाएगी और सरकार को मृतक के परिजनों को अनुग्रह राशि देनी होगी

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH : प्रयागराज, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी व्यक्ति को कोविड-19 के मरीज के तौर पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है और उसकी मृत्यु ह्रदय गति रुकने से हो या किसी अन्य कारण से, यह मृत्यु कोविड-19 से हुई मृत्यु मानी जाएगी और सरकार को मृतक के परिजनों को अनुग्रह राशि देनी होगी.

कुसुम लता यादव और कई अन्य लोगों द्वारा दायर रिट याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने राज्य के अधिकारियों को कोविड-19 से मृत लोगों पर आश्रित परिजनों को अनुग्रह राशि एक महीने के भीतर देने का निर्देश दिया. अदालत ने भुगतान में विफल रहने पर नौ प्रतिशत की दर से ब्याज सहित भुगतान करने को भी कहा.हाईकोर्ट ने कहा, ‘‘हम पाते है कि अस्पताल में कोविड-19 की वजह से हुई मृत्यु, प्रमाणन की जांच में पूरी तरह से खरी उतरती है.

यह दलील कि मेडिकल रिपोर्ट में मृत्यु की वजह ह्रदय गति रुकना या कोई अन्य कारण है और कोविड-19 से मृत्यु नहीं है, हमारे गले नहीं उतरता. कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का कोई भी अंग चाहे वह फेफड़ा हो या हृदय, संक्रमण से प्रभावित हो सकता है और उसकी मृत्यु हो सकती है.”इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 25 जुलाई, 2022 के अपने निर्णय में निर्देश दिया कि प्रत्येक याचिकाकर्ता जिनके दावे यहां स्वीकार किए गए हैं, वे 25,000-25,000 रुपये मुआवजा पाने के हकदार होंगे.

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