” गुरु एवम गुरुत्व ” गुरु पूर्णिमा पर विष्णु शर्मा द्वारा कृति विशेष लेख

Report vishnu sharma

Raipur chhattisgarh VISHESH : गुरु एवम शिष्य एक आध्यात्मिक एवम् आत्मिक मेकेनिजम है। जिस प्रकार से गुरुत्व बल के कारण पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है उसी प्रकार से एक शिष्य गुरु के गुरत्व भाव, गुण, विद्या के कारण अनुसरण करता है।जो बिना किसी भौतिक परिवर्तन या क्रिया के अपने अपने स्थान को बदले बिना भी एक दूसरे को प्रभावित कर सके या दिशा दे सके।जिस प्रकार से पृथ्वी सूर्य के बिना अस्तित्व में नही रह सकती उसी प्रकार से शिष्य भी गुरु के बिना अस्तित्व विहीन है।

गुरुत्वाकर्षण बल की अवधारणा में गुरु शिष्य के बिच के बंधन को अवश्य शामिल किया गया रहा होगा ।गुरु में जितना अधिक गुरुत्व होगा उतना अधिक वह शिष्य में दिशा, ज्ञान एवम नियंत्रण उत्पन्न करेगा।आज भी जिवन में माता पिता, मित्र, बंधु, सगे रिश्तेदारों के साथ साथ स्कूल, कॉलेज, कार्यस्थल, व्यापार से लेकर खेल के मैदान में गुरुत्व उत्पन्न करने वाले गुरुओं की स्मृति दृष्टि पटल पर ओझल नहीं होती… गुरु एक भाव है जिसको शिष्य महसूस करता है ।

आज के संसार में गुरु कई प्रकार के हो सकते है परंतु जिसका गुरुत्व सबसे अधिक होता है वह अंत समय तक मस्तिष्क एवम मन को प्रभावित करने का माद्दा रखता है।भौतिकी के नियमो में बंधा गुरु शिष्य के बिच आध्यात्मिक बंधन के पर्व गुरुपूर्णिमा पर समाज के समक्ष एक अभिवादन स्वरूप यह विमर्श समर्पित…|| विष्णु शर्मा||

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