रोटोमैक पैन बनाने वाले अरबपति विक्रम कोठारी पर 800 करोड़ के फ्रॉड आरोप
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : रोटोमैक पैन बनाने, यूपी के कानपुर में स्थित चर्चित उद्योगपति और पान मसाला किंग के नाम से मशहूर विक्रम कोठारी उनकी पत्नी साधना कोठारी और बेटे राहुल कोठारी के खिलाफ केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI ) ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए एक और नया मामला दर्ज किया है. ये नई एफआईआर 15 सितंबर को दर्ज की गई. लेकिन अब खबर आ रही है कि इसी मामले को आधार बनाते हुए करीब तीन दिनों के अंदर ही ईडी (ED ) भी मामला दर्ज करने वाली है. ईडी मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक ईडी की लखनउ ब्रांच इस मामले को दर्ज करके मामले की तफ्तीश में जुट जाएगी. इसके लिए सीबीआई से अधिकारिक तौर पर इस मामले की एफआईआर कॉपी सहित कई अन्य
दस्तावेजों की कॉपी मांगी गई है.
क्या है मामला- केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पेन निर्माता कंपनी रोटेमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटर्स विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी साधना कोठारी और बेटे राहुल कोठारी के खिलाफ मामला दर्ज किया है. जांच एजेंसी ने बैंक ऑफ इंडिया के साथ 806 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी किए जाने के आरोप में यह केस दर्ज किया. बैंकों को धोखा देने के लिए कानपुर के कोठारियों द्वारा संचालित रोटोमैक समूह के खिलाफ यह तीसरा सीबीआई मामला है.
सीबीआई के सूत्रों की अगर मानें तो इस मामले में कई शैल कंपनियों के मार्फत उन करोड़ों रुपयों को डायवर्ट किया गया है. बैंक ने इस मामले में पिछले कई सालों से दर्जनों बार नोटिस भेजा. लेकिन पैसों को चुकाने को लेकर कोठारी ग्रुप ने कोई कदम नहीं उठाया और जानबुझकर टाल मटोल की जा रही है
कारोबार में नुकसान होने का बहाना बनाकर पैसे नहीं चुकाने का आरोप कोठारी ग्रुप पर है. लिहाजा इस मामले में काफी कोशिश करने के बाद भी कंपनी और उस कंपनी के प्रमोटर्स ने जब कर्ज नहीं चुकाया तब बैंक ऑफ इंडिया के कानपुर जोन के अधिकारी सत्य प्रकाश ने इस मामले की लिखित तौर पर शिकायत सीबीआई को दी गई है.
जिसके बाद सीबीआई की बैंकिंग फ्रॉड और सिक्युरिटी ब्रांच (BS&FB ) की टीम ने इस मामले को दर्ज करके मामले की तफ्तीश में जुट गई है.
अगर पुराने मामलों की बात करें तो फरवरी 2018 में, सीबीआई ने रोटोमैक और विक्रम कोठारी के खिलाफ बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स सहित सात बैंकों के साथ कथित रूप से धोखाधड़ी करने को लेकर पहला मामला दर्ज किया था. इस दौरान उन पर बैंकों के साथ 3,695 करोड़ रुपये का फ्रॉड करने का आरोप लगा था.
आरोप लगाया गया था कि कोठारी को दुबई, शारजाह और हॉन्ग-कॉन्ग जैसी जगहों पर अपने खरीदारों और आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने के बहाने विदेशी ऋण पत्र (एफएलसी) के आधार पर कर्ज दिया गया. लेकिन ये लोग वास्तविक तौर पर मौजूद नहीं मिले. कोठारियों ने कथित तौर पर बैंकों को बिलों के अधूरे दस्तावेज और फोटोकॉपी उपलब्ध कराए थे.
इसके बाद, एजेंसी ने फरवरी 2020 में दूसरा केस दर्ज किया था, जिसमें कंपनी के खिलाफ इलाहाबाद बैंक से 36 करोड़ रुपये का फ्रॉड का आरोप लगा था. हाल वाली एफआईआर में, सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने बैंक ऑफ इंडिया से कुछ समय के लिए कर्ज लिया था, जिसका 806 करोड़ रुपये का बकाया है. आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने बैंक से लिए गए अधिकांश फंड को डायवर्ट कर दिया.