छत्तीसगढ़ विशेष के छेड़े अभियान के तहत जिला शिक्षा अधिकारी ने निजी स्कूलो से मंगवाई पिछले वर्ष के शुल्क की जानकारी जिसके आधार पर होगी इस वर्ष की फीस की गणना
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : हाई कोर्ट का फैसला के विरुद्ध निजी स्कूल ले रहे ट्यूशन फीस के साथ अन्य प्रभार के विरुद्ध छत्तीसगढ़ विशेष ने छेड़ा था अभियान, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने निजी स्कूलो से मंगवाई पिछले वर्ष के शुल्क की जानकारी l जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि इस वर्ष की फीस का निर्धारण पिछले वर्ष की फीस के आधार पर होगा, जो कि स्कूलो को बोल दिया गया है उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अगर कोई स्कूल नियम के विरुद्ध ट्यूशन फीस के अलावा ज्यादा फीस लेता है तो उसकी मान्यता रद कर दी जाएगी l अब हाई कोर्ट का फैसला के विरुद्ध निजी स्कूल नहीं ले सकेंगे ट्यूशन फीस के साथ अन्य प्रभार l स्कूल में ऑनलाइन क्लासेस लॉकडाउन के समय से चल रही है, लेकिन पालक और स्कूल के बीच में खींचातानी शुरू से ही चालू है। कोई भी पालक ऑनलाइन क्लास की फीस नहीं देना चाह रहा था लेकिन स्कूल प्रबंधन का कहना था कि उनके अध्यापकों की तनख्वाह महीने दर महीने जा रही है तो उसके लिए उन्हें फीस की आवश्यकता है। इस खर्च को देखते हुए छत्तीसगढ़ स्कूल संघ ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में केस दायर किया, जिसमें फैसला आया था कि पालकों को पिछले वर्ष की संपूर्ण फीस और इस वर्ष की ट्यूशन फीस स्कूल को देना होगा।मतलब अब स्कूल ले सकेंगे सिर्फ ट्यूशन फीस l
ज्ञात हो कि 22 प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों के संगठन ने हाईकोर्ट से राहत की मांग की थी l निजी स्कूलों के लिए राहत भरी खबर आई है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि निजी स्कूल अब ट्यूशन फीस ले सकेंगे। छत्तीसगढ़ के निजी स्कूलों के फीस लेने पर लगाई गई रोक के खिलाफ प्रबंधकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सरकार के फैसले के खिलाफ निजी स्कूल संघ ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने का आदेश दे दिया है। सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका में कहा गया था कि उन्हें ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दी जाए lबता दें सरकार द्वारा जारी किये गये आदेश में स्कूल संचालकों से कहा था कि निजी स्कूल लॉकडाउन अवधि में स्कूल फीस स्थगित रखें। साथ ही आदेश दिया है कि संस्थान के सभी शिक्षक और कर्मचारियों को वेतन देना सुनिश्चित करें। शाला प्रबंधकों को अभिभावकों से फीस नहीं मांगने का आदेश दिया गया था।
याचिका में निजी स्कूलों ने कहा था कि जो अभिभावक सक्षम हैं उनसे ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दी जाए। अगर वे फीस नहीं ले पाएंगे तो कर्मचारियों और शिक्षकों का वेतन कहां से देंगे। ग़ौरतलब है कि स्कूलों के शिक्षक गण बच्चों को ऑनलाइन क्लास ले ही रहे हैं। lबता दें हाई कोर्ट द्वारा जारी किये गये आदेश कुछ स्कूल संचालकों के द्वारा अवहेलना किया गया है l अचानक इस समय पलकों को 30 से 35% फीस मे वृद्धि कर मज़बूर किया जाँ रहा है कि वे कोई कठोर कदम उठाये l इस संबंध मे जब छत्तीसगढ़ विशेष ने जिला शिक्षा अधिकारी के बात की थी उनका कहाना था कि कोई भी स्कूल हाई कोर्ट की अवेहलना करते ज्यादा फीस के लिए या जबरदस्ती किसी पालक को तंग करते हुए पाया गया तो उसके ऊपर निहित रुप से कार्यवाही होगी एवं निजी स्कूल को अपने वेबसाइट मे फीस को दर्शाने कहा गया l